• Printed Journal
  • Indexed Journal
  • Refereed Journal
  • Peer Reviewed Journal
Submit Manuscript
International Journal of Physiology, Nutrition and Physical Education

Impact Factor (RJIF): 5.48

ISSN: 2456-0057

2017, Vol. 2, Issue 2
अष्टाग योग प्राणायाम, प्रत्याहार का मानव जीवन प्रभाव
Author(s): डॉ राजधर चैत्राम बेडसे
Abstract:
वर्तमान समय मे प्राणायाम महत्वपूर्ण भूमिका है। सुबह दोपहर शाम पूजा सन्ध्या व प्राणायाम अति महत्वपूर्ण है। हिन्दुओं मे सम्पूर्ण धार्मिक कार्य प्राणायाम से ही प्रारम्भ होते है। इसका आशय है कि प्राणायाम के व्दारा जिस कार्य मे मन से लग जाते है। उसमे सफलता निश्चित रूप से प्राप्त होती है। संसार का प्रत्येक संचालन जीवन शक्ति होता है। जो इस संसार मे मानसिक विचार के रूप मे रहती है।उसी जीवन शक्ति का नाम प्राण है। मानव स्नायुओं लगातार निकलने वाले जीवन शक्ति को अधिकार लाने की क्रिया को प्राणायाम कहते है। यही प्राण शक्ति मांसपेशियों का संचालन करती है। प्राणायाम व्दारा शक्तियों को वश में करना योगीयों मुख्य लक्ष्य होता है। जो इन शक्तियों को वश मे कर लेता है। वह इस संसार मे ही नही सम्पूर्ण विश्व विजय प्राप्त कर लेता है। प्राण को ही जीवन का महत्वपूर्ण अंग है। इसके छोटे-छोटे सिद्धान्तों पर सम्पूर्ण विश्व का रूप् खिायी पड़ता हैं समपूर्ण विश्व ही योगी का शसरीर है। जिसके माध्यम से उसका शरीर जीवित रहता है। जीन तत्वों उसका शरीर बना है उन्ही तत्वों उसकी उत्पति हुई हैं जिससे समपूर्ण शक्तियों संचालन होता हैं।
Pages: 2002-2003  |  552 Views  35 Downloads
How to cite this article:
डॉ राजधर चैत्राम बेडसे. अष्टाग योग प्राणायाम, प्रत्याहार का मानव जीवन प्रभाव. Int J Physiol Nutr Phys Educ 2017;2(2):2002-2003.
Related Journal Subscription
International Journal of Physiology, Nutrition and Physical Education

International Journal of Physiology, Nutrition and Physical Education

Call for book chapter
International Journal of Physiology, Nutrition and Physical Education