2022, Vol. 7, Issue 1
महाविदà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯à¥€à¤¨ छातà¥à¤°-छातà¥à¤°à¤¾à¤“ं का योगाà¤à¥à¤¯à¤¾à¤¸ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ मनोवृतà¥à¤¤à¤¿ का तà¥à¤²à¤¨à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤• अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨
Author(s): Dr. Anil Kumar Mishra
Abstract:
योग दस हजार साल से à¤à¥€ अधिक समय से पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¨ में है। मननशील परंपरा का सबसे शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ उलà¥à¤²à¥‡à¤– नारदीय सूकà¥à¤¤ में, सबसे पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ जीवनà¥à¤¤ साहितà¥à¤¯ ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦ में उलà¥à¤²à¥‡à¤– है। यह हमें फिर से सिनà¥à¤§à¥-सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾ के दरà¥à¤¶à¤¨ कराता है। ठीक उसी सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾ से पशà¥à¤ªà¤¤à¤¿ मà¥à¤¹à¤° जिस पर योग मà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾ मे विराजमान à¤à¤• आकृति है, जो वह उस पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ काल में योग की वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤•à¤¤à¤¾ को दरà¥à¤¶à¤¾à¤¤à¥€ है। यदà¥à¤¯à¤ªà¤¿ पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨à¤¤à¤®à¥ उपनिषद, बृहदअरणà¥à¤¯à¤• में à¤à¥€, योग का हिसà¥à¤¸à¤¾ बन चà¥à¤•à¥‡, विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ शारीरिक अà¤à¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥‹à¤‚ का उलà¥à¤²à¥‡à¤– मिलता है। छांदोगà¥à¤¯ उपनिषद में पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¤¾à¤¹à¤¾à¤° का तो बृहउअरणà¥à¤¯à¤• के वेद मंतà¥à¤° में पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¾à¤¯à¤¾à¤® के अà¤à¥à¤¯à¤¾à¤¸ का उलà¥à¤²à¥‡à¤– मिलता है। यथावत, योग के वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ सà¥à¤µà¤°à¥‚प के बारे में, पहली बार उलà¥à¤²à¥‡à¤– शायद कठोपनिषद में आता है, यह यजà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦ की कथाशाखा के अंतिम आठवरà¥à¤—ों में पहली बार शामिल होता है जो कि à¤à¤• मà¥à¤–à¥à¤¯ और महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ उपनिषद है। योग को यहाठअनà¥à¤¤à¤°à¥à¤®à¤¨ की यातà¥à¤°à¤¾ या चेतना को विकसित करने की à¤à¤• पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ के रूप में देखा जाता है।
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How to cite this article:
Dr. Anil Kumar Mishra. महाविदà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯à¥€à¤¨ छातà¥à¤°-छातà¥à¤°à¤¾à¤“ं का योगाà¤à¥à¤¯à¤¾à¤¸ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ मनोवृतà¥à¤¤à¤¿ का तà¥à¤²à¤¨à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤• अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨. Int J Physiol Nutr Phys Educ 2022;7(1):46-48.